कबीर दास जी अथवा मीराबाई की कात्यगत विशेषताएं निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर लिखिए
Answers
Answer:
मीराबाई का जन्म राजस्थान में मेवाड़ के निकट स्थित चौकड़ी ग्राम में सन् 1498 . के आसपास हुआ था। मीराबाई के पिता का नाम रत्न सिंह था और इनका विवाह राणा साँगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था। भोजराज की मृत्यु अचानक हो जाने से मीरा का जीवन अस्तव्यस्त हो गया। वैसे तो मीरा बाल्यकाल से श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहती थी पर पति की मृत्यु के बाद तो वे पूरी तरह से साधु-संतो का सत्संग करने लगीं। मंदिरों में कृष्ण मूर्ति के साथ नाचते-गाते हर एक ने उन्हें देखा। इससे परिवार वाल उनसे रुष्ट हो गए। कहते हैं इसी कारण से ही उनके देवर ने ही मीरा को विषपान को मजबूर किया किन्तु प्रभु कृपा से उन पर केा दुष्प्रभाव नहीं पड़ा। मीरा कृष्ण भक्ति में डूबी रहीं मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न को, गाती रहीं। मीराबाई की मृत्यु सन् 1546 . के आसपास मानी जाती है। मीरा की मृत्यु को कृष्ण में विलीन हो जाना कहते हैं।
मीराबाई की रचनाएँ
गीत गोविन्द टीक
सोरठा के पद
राग गोविन्द
नरसी जी रो मायरो।
उपर्युक्त चारों रचनाएँ मीरा की पदावली के नाम से संग्रहित और प्रकाशित हुई।
घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। ये 'आनंदघन' नाम स भी प्रसिद्ध हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. १७४६ तक माना है। इस प्रकार आलोच्य घनानन्द वृंदावन के आनन्दघन हैं। शुक्ल जी के विचार में ये नादिरशाह के आक्रमण के समय मारे गए। श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी का मत भी इनसे मिलता है। लगता है, कवि का मूल नाम आनन्दघन ही रहा होगा, परंतु छंदात्मक लय-विधान इत्यादि के कारण ये स्वयं ही आनन्दघन से घनानन्द हो गए। अधिकांश विद्वान घनानन्द का जन्म दिल्ली और उसके आस-पास का होना मानते हैं।
Answer:
: मीराबाई का जन्म राजस्थान में मेवाड़ के निकट स्थित चौकड़ी ग्राम में सन् 1498 . ... कहते हैं इसी कारण से ही उनके देवर ने ही मीरा को विषपान को मजबूर किया किन्तु प्रभु कृपा से उन पर केा दुष्प्रभाव नहीं पड़ा। मीरा कृष्ण भक्ति में डूबी रहीं मेरे तो