Hindi, asked by vinamrsaxena, 10 months ago

कबीर दास जी छः दोहे ​

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Answered by sainishubham4716
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Answer:

कबीर दास जी ने अपने सकारात्मक विचारों से करीब 800 दोहों में जीवन के कई पक्षों पर अपने ...

Answered by poojasharmait85
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Explanation:

-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,

माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।

अर्थ :- मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है। अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा !

3.

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,

कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

अर्थ :- कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है। यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है ! Sant kabir dohe

Sant Kabir Das के 20 प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित

4.

लूट सके तो लूट ले,राम नाम की लूट ।

पाछे फिर पछ्ताओगे,प्राण जाहि जब छूट ॥

अर्थ :- कबीर दस जी कहते हैं कि अभी राम नाम की लूट मची है , अभी तुम भगवान् का जितना नाम लेना चाहो ले लो नहीं तो समय निकल जाने पर, अर्थात मर जाने के बाद पछताओगे कि मैंने तब राम भगवान् की पूजा क्यों नहीं की ।

5.

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।

पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब ॥

अर्थ :- कबीर दास जी समय की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और और जोआज करना है उसे अभी करो , कुछ ही समय में जीवन ख़त्म हो जायेगा फिर तुम क्या कर पाओगे !

6.

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।

मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥

अर्थ :- कबीर दस जी कहते हैं कि परमात्मा तुम मुझे इतना दो कि जिसमे बस मेरा गुजरा चल जाये , मैं खुद भी अपना पेट पाल सकूँ और आने वाले मेहमानो को भी भोजन करा सकूँ। (kabir das ke dohe in hindi)

20 most famous and inspiring dohas of Sant Kabir Das with meaning in hindi.

7.

दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

अर्थ :- कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख के समय सभी भगवान् को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता। यदि सुख में भी भगवान् को याद किया जाए तो दुःख हो ही क्यों !

8.

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,

अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

अर्थ :- न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।

9.

पतिबरता मैली भली गले कांच की पोत ।

सब सखियाँ में यों दिपै ज्यों सूरज की जोत ॥

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