Hindi, asked by kirthi142, 7 months ago

कबीर दास जी फक्कड स्वभाव के थे, इस पर अपने विचार लिखीए ।​

Answers

Answered by mahemudkhan171
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Explanation:

रामानंद के शिष्य परंपरा में आने वाले संतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कबीरदास हैं । कबीर चरित्र बोध भक्तिकाल और कबीर परिचई के आधार पर कहा जाता है कि कबीर का जन्म सन 1398 ईस्वी में हुआ और मृत्यु सन 1518 ईस्वी में हुई। इस प्रकार से 120 वर्ष तक जीवित रहे। उस समय लोधी वंश का दमन पूर्ण शासन चल रहा था। जिससे जनता में डर और भय का आतंक था।

इतिहासकार कबीर और सिकंदर लोदी को समकालीन मानते हैं। सिकंदर लोधी ने सन 1489 ईस्वी से सन 1517 ईस्वी तक दिल्ली पर शासन किया था। उनके के दो पदों से ज्ञात होता है कि सिकंदर लोदी ने कबीर के हाथ बांधकर उन्हें हाथी के सामने डाल दिया था। किंतु हाथी चिंघाड़ता हुआ भाग गया। इसी प्रकार उन्हें जंजीर से बांध कर गंगा में डाल दिया गया किंतु गंगा की लहरों से जंजीर टूट गई।

Answered by Sagarika18
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Answer:

कबीर की मूल विशेषताएं यही थी कि वह फक्कड़ प्रवृत्ति के थे। वह समाज में जहां भी कुछ विपरीत होते देखते वह वहां रोक लगा देते थे। वह  परिणाम की चिंता नहीं किया करते थे बस वह सत्य का साथ देते थे यही कारण है कि वह स्वभाव के फक्कड़  थे स्वभाव के कारण उन की सभी धर्म के ठेकेदारों से ठनी रहती थी। वह निरंतर व्यर्थ के  कर्मकांडों की निंदा करना चाहते। वह किसी भी धर्म संप्रदाय का हो वह मुस्लिम  को भी लताड़ते थे और हिंदुओं को भी

कांकड़ पाथर जोरि के मस्जिद लई चुनाव

कांकड़ पाथर जोरि के मस्जिद लई चुनावता चढ़ी मुल्ला बांग दे क्या बहरो हुआ खुदाय

वह कहते हैं कि ईश्वर तो सर्वत्र व्याप्त व्याप्त है ,चर – अचर सब में तो फिर यह किस प्रकार का ढोंग है। कांकड़ पाथर से मस्जिद बनाकर उसके ऊपर लाउडस्पीकर लगा कर बांग देना यह तो केवल ढोंग है और कुछ नहीं। जब ईश्वर को आप सभी जगह पाते हैं तो यह सवाल क्यों ?क्या खुदा बहरा है ?क्या इतना ही नहीं वह ब्राह्मण की कुटिल चाल की भी भर्त्स्ना  करते हैं वह अपने को जाती में श्रेष्ठ बताकर  निर्धन , निर्बल व अशिक्षित व्यक्तियों का शोषण कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा पर अपना एकाधिकार जमा लिया है। इस प्रकार कबीर क्रोधित होते हैं और कहते हैं –

जो तू बामन बामनी का जाया

जो तू बामन बामनी का जायाऔर राह ते काहे ना आया

कबीर के फक्कड़  स्वभाव में व्यंग की मार है  व्यंग्यकार ईंट पत्थर से नहीं बल्कि सलीके से मारता है। और यह मारपीट व पत्थर से भी गहरी होती है।

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