कबीर दास जी का भाव पक्ष कला पक्ष साहित्य में स्थान
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कबीर दास 15 वीं शताब्दी के भारतीय कवि, रहस्यवादी और संत थे, जो भारत के उत्तरी भाग में रहते थे। उन्हें भारतीय आध्यात्मिकता में सबसे प्रभावशाली हस्तियों में से एक माना जाता है, और उनकी शिक्षाओं और कविताओं का भारत में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
- "भाव पक्ष" और "कला पक्ष" दो शब्द हैं जिनका उपयोग कबीर दास, 15 वीं शताब्दी के भारतीय कवि और रहस्यवादी ने अपनी कविता में जीवन और अस्तित्व की दोहरी प्रकृति का वर्णन करने के लिए किया था।
- "भाव पक्ष" जीवन की चक्रीय प्रकृति और उसकी नश्वरता के साथ-साथ इससे जुड़े दुख और भ्रम को संदर्भित करता है।
- "कला पक्ष" जीवन और मृत्यु के द्वंद्व से परे परम सत्य, अपरिवर्तनीय वास्तविकता को संदर्भित करता है।
- कबीर दास ने आध्यात्मिकता और परम सत्य की खोज का संदेश देने के लिए इन अवधारणाओं का उपयोग किया।
- उनकी कविताएं और गीत, जो पुस्तक "बीजक" (जिसे "आदि ग्रंथ" के रूप में भी जाना जाता है) में एकत्र किए गए हैं, को व्यापक रूप से उनकी अंतर्दृष्टि और ज्ञान का प्रमाण माना जाता है।
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