कबीर दास जी के भाव पक्ष और कला पक्ष का वर्णन कीजिए
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- रचनाएं - साखी, सबद, रमैनी|
- भाव पक्ष- कबीर को हिंदी काव्य में रहस्य का जन्मदाता कहा जाता है कबीर के काव्य में आत्मा और परमात्मा के संबंधों की स्पष्ट व्याख्या मिलती है कभी ने अपने काव्य में परमात्मा को प्रयत्न एवं आत्मा को पेशी के रूप में चित्रित किया है उनके काव्य में विरह की पीड़ा है
- कला पक्ष- कबीर के काव्य में चमत्कार के दर्शन होते हैं कविता उनके लिए साधना न होकर साधन मात्र थी उनके काव्य में अअनायास ही मौलिक एवं सार्थक प्रति को अन्यक्तियों एवं रुपको का सफल प्रयोग मिलता है
- साहित्य में स्थान- कबीर समाज सुधार एवं युग निर्माता के रूप में सदैव स्मरण किए जाएंगे
Answer:
संत कबीरदास (Kabirdas)हिन्दी साहित्य के भक्ति काल के अंतर्गत ज्ञानमार्गी शाखा के कवि हैं | कबीर दास जी के भाव पक्ष और कला पक्ष का वर्णन कुछ इस प्रकार है
Explanation:
कबीर दास जी के भाव पक्ष और कला पक्ष का वर्णन कुछ इस प्रकार है :-
कबीरदास का भाव पक्ष
कबीरदास(Kabirdas) जी निर्गुण, निराकार ब्रह्म के उपासक थे । उनकी रचनाओं में राम शब्द का प्रयोग हुआ है । निर्गुण ईश्वर की आराधना करते हुए भी कबीरदास महान समाज सुधारक माने जाते है । इनहोने हिन्दू और मुसलमान दोनों संप्रदाय के लोगों के कुरीतियों पर जमकर व्यंग किया ।
कबीरदास का कला पक्ष
सांधु संतों की संगति में रहने के कारण उनकी भाषा में पंजाबी, फारसी, राजस्थानी, ब्रज, भोजपुरी तथा खड़ी बोली के शब्दों का प्रयोग किया है । इसलिए इनकी भाषा को साधुक्कड़ी तथा पंचमेल कहा जाता है । इनके काव्य में दोहा शैली तथा गेय पदों में पद शैली का प्रयोग हुआ है । श्रंगार, शांत तथा हास्य रस का प्रयोग मिलता है ।