Art, asked by rm5047170, 1 month ago

कबीर दास जी की दो रचनाएं​

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Answered by ramshanarzo
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NAHI PATA BRBJFBJFBIRBCIRBCIBXRIBCJEXBEH

Answered by sachingupta26928
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साधो, देखो जग बौराना – कबीर

कथनी-करणी का अंग -कबीर

करम गति टारै नाहिं टरी – कबीर

चांणक का अंग – कबीर

नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार – कबीर

मोको कहां – कबीर

रहना नहिं देस बिराना है – कबीर

दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर

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