कबीर दास जी की दो रचनाएं
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NAHI PATA BRBJFBJFBIRBCIRBCIBXRIBCJEXBEH
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साधो, देखो जग बौराना – कबीर
कथनी-करणी का अंग -कबीर
करम गति टारै नाहिं टरी – कबीर
चांणक का अंग – कबीर
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार – कबीर
मोको कहां – कबीर
रहना नहिं देस बिराना है – कबीर
दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर
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