कबीर दास जी ने ईश्वर का स्वरूप बताया है
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चंद्र,घन,दिया,सुहाग आदी।
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कबीर की दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप अविनाशी है। कबीर दास के कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार लकड़ी में अग्नि निवास करती है ठीक उसी प्रकार परमात्मा सभी जीवों के ह्रदय में आत्मा स्वरुप में व्याप्त है। ईश्वर सर्वव्यापक, अजर-अमर और अविनाशी है।
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