कबीर दास जी संतों की किस बात को ज्यादा महत्व देते थे?
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अर्थ- संत कबीर कहते हैं कि बड़ी-बड़ी पोथी पढ़ने का कोई लाभ नहीं है, जब तक कि आप में विनम्रता नहीं आती और आप लोगों से प्रेम से बात नहीं कर पाते. कबीर कहते हैं जिसे प्रेम के ढाई अक्षर का ज्ञान प्राप्त हो गया वही इस संसार का असली विद्वान है. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
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