कबीर दास को मस्त मौला किस विद्वान ने कहा है
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उतर :- कबीर दास को मस्त मौला हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है l
व्याख्या :-
कबीर दास :-
- उनका जन्म काशी में हुआ था l
- उनके गुरु का नाम रामानन्द था l
- वह सिकन्दर लोदी के समकालीन थे l
- उनकी वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने ’बीजक’ नाम से किया ।
- उनके पदों का वर्णन गुरुग्रंथ साहब में भी मिलता है l
कबीर दास जी के बारे में हजारी प्रसाद द्विवेदी के निम्न मत है :-
- हिन्दी साहित्य के हजार वर्षों के इतिहास में कबीर जैसा व्यक्तित्व लेकर तुलसीदास जी के अलावा कोई लेखक पैदा नहीं हुआ ।
- भाषा पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था तथा वह वाणी के डिक्टेटर थे ।
- वे सिर से पैर तक मस्तमौला, स्वभाव से फक्कङ फकीर थे ।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर दास जी को विष्णु के नृसिंहावतार की प्रतिमूर्ति भी बताया है l
अत, कबीर दास को मस्त मौला हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है l
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कबीर दास को मस्त मौला किस विद्वान ने कहा है
कबीर को मस्त मौला प्रसिद्ध निबंध लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार कबीर सिर से पैर तक लेकर एकदम मस्त मौला व्यक्ति थे।
वह निर्धन होने के बावजूद अपनी आदतो से अक्खड़ स्वभाव के थे। लेकिन वह दिल के बेहद कोमल और साफ थे। किसी भी ईश्वर भक्त के आगे वह निर्मल बन जाते थे, जबकि किसी पाखंडी के आगे वे प्रचंड रूप धारण कर लेते थे। वे दिखने में बाहर से कठोर दिखाई पड़ते थे, लेकिन वह अंदर से बेहद कोमल थे। भले ही उन्होंने अछूत के रूप में जन्म लिया था लेकिन अपने कर्मों के कारण वह सबके लिए वंदनीय बन गए थे।