कबीर दास की रचनाओं की विशेषता लिखिए
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कबीर की कविता का भावपक्ष जितना सबल है उतना कलापक्ष नहीं | कबीर की मान्यता ही है कि ‘ भाव अनूठो चाहिए भाषा कैसेहु होय ’ स्पष्ट है कि कबीर ने भाव के अनूठेपन पर ही जोर दिया है | उनकी भाषा का प्रश्न है तो यह मानना पड़ेगा कि अपनी पंचमेली भाषा से जो भी चाहा कहलवा दिया | सत्यः वे भाषा के डिक्टेटर थे जैसाकि आचार्य हजारी प्र• द्विवेदी ने कबीर को ‘ भाषा का जबर्दस्त डिक्टेटर ’ बतलाया है |
निश्चित रूप से हिन्दी साहित्य में कबीर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है | वे निर्गुण भावधारा के प्रतिनिधि कवि थे |
thanku ........... brainleiest
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