कबीर दास के दोहे की मुख्य विशेषताएं बताइए
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उनके दोहे जैसे भगवान आशीर्वाद हो उनमें सुनके ऐसा लगता था जैसे स्वयं भगवान वह बोल रहे हो इतनी सचिया तो हम भी नहीं लिख सकते इतने अन्तर्यामी को सबका प्रणाम
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कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )
कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में अग्रगण्य हैं | यद्यपि वे पढ़े-लिखे नहीं थे जैसी की उनकी स्वीकरोती है — ...
कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में अग्रगण्य हैं | यद्यपि वे पढ़े-लिखे नहीं थे जैसी की उनकी स्वीकरोती है — ...“ पाहन पूजै हरि मिलै तो मैं पूजूँ पहार |
कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में अग्रगण्य हैं | यद्यपि वे पढ़े-लिखे नहीं थे जैसी की उनकी स्वीकरोती है — ...“ पाहन पूजै हरि मिलै तो मैं पूजूँ पहार |ताते ये चक्की भली जो पीस खाय संसार || ”
कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में अग्रगण्य हैं | यद्यपि वे पढ़े-लिखे नहीं थे जैसी की उनकी स्वीकरोती है — ...“ पाहन पूजै हरि मिलै तो मैं पूजूँ पहार |ताते ये चक्की भली जो पीस खाय संसार || ”“ कंकड़ पत्थर जोरि कै मस्जिद दिया बनाय |
कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में अग्रगण्य हैं | यद्यपि वे पढ़े-लिखे नहीं थे जैसी की उनकी स्वीकरोती है — ...“ पाहन पूजै हरि मिलै तो मैं पूजूँ पहार |ताते ये चक्की भली जो पीस खाय संसार || ”“ कंकड़ पत्थर जोरि कै मस्जिद दिया बनाय |ता चढ़ मुल्लाबाग है क्या बहरा हुआ खुदाय || ”
कबीरदास की काव्यगत विशेषताएं ( कवि परिचय )कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में अग्रगण्य हैं | यद्यपि वे पढ़े-लिखे नहीं थे जैसी की उनकी स्वीकरोती है — ...“ पाहन पूजै हरि मिलै तो मैं पूजूँ पहार |ताते ये चक्की भली जो पीस खाय संसार || ”“ कंकड़ पत्थर जोरि कै मस्जिद दिया बनाय |ता चढ़ मुल्लाबाग है क्या बहरा हुआ खुदाय || ”“ दिन में रोजा रखत है रात हनत हैं गाय |
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