कबीर दास के दोहे में धार्मिक आडंबर का विरोध मिलता है. इसका क्या कारण है?
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कबीर दास के दोहे में धार्मिक आडंबर का विरोध मिलता है. इसका क्या कारण है?
कबीर दास के दोहे में धार्मिक आडंबर का विरोध मिलता है , क्योंकि कबीर समझाते है , ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है; कबीर जी कहते है कि ईश्वर सब जगह पाए जाते है| ईश्वर सब जगह बसते है| ईश्वर सभी मनुष्य के अंदर वास करते है बस हमें ईश्वर को पहचानने की जरूरत होती है | ईश्वर को पाने के किए सच्चे मन की भक्ति और अच्छे कर्म करने की जरूरत है| सभी रूप-नाम, प्राणि-मात्र और तत्त्वों में वही एक समाया है|
कबीर जी ने रूढ़ियों, सामाजिक कुरितियों, तिर्थाटन, मूर्तिपूजा, नमाज, रोजादि का खुलकर विरोध किया | यह सब करने से ईश्वर प्राप्त नहीं होते है , ऐसा करने समय का बर्बाद होता है | यह मोह-माया है |
कबीर के अनुसार, जिसमें प्रेम, दया व करूणा भावना है वही सबसे बड़ा ज्ञानी होता है। कबीर कहते है , ईश्वर हमारे अंदर है , हमें अंदर की भक्ति से उन्हें प्राप्त करना चाहिए |
Answer:
haa
Explanation:
उनकी धार्मिक मान्यता को लेकर लंबे समय तक मतभेद बना रहा. कुछ लोग उन्हें जन्म से हिंदू करार देते हैं तो कइयों का मानना है कि साधुवाद की ओर उनका रुझान संत रमानंद से मिलने के बाद हुआ. माना जाता है कि कबीर ने 1518 में नश्वर शरीर छोड़ दिया. कबीर ने मुसलमान और हिंदू दोनों समुदाय के बीच आडंबरों पर कटाक्ष किया.