कबीर द्वारा रचित आपकी प्रिय रचना (दोहा / साखी) और उसका अर्थ
Answers
Answered by
0
सब धरती कागज करूँ लिखनी (लेखनी ) सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥
इस धरती पर जितना भी कागज है उसे एकत्रित करके।
वन/जंगल की लकड़ी से लेखनी करूँ (समस्त जंगल जी लकड़ी को लेखनी बना लूँ। सातों समुद्र के पानी को स्याही (मसि ) बना लूँ।गुरु का गुण लिखा ना जाय।
please mark brainliest.
Answered by
0
Answer:
गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान। बहुतक भोंदू बहि गये, सखि जीव अभिमान॥
Explanation:
व्याख्या: अपने सिर की भेंट देकर गुरु से ज्ञान प्राप्त करो | परन्तु यह सीख न मानकर और तन, धनादि का अभिमान धारण कर कितने ही मूर्ख संसार से बह गये, गुरुपद - पोत में न लगे।
Similar questions