Hindi, asked by ammy123, 1 year ago

कबीर द्वारा रचित साखी का प्रतिपाद्य लिखिए ।


ammy123: 10

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Answered by shishir303
49

कबीर ग्रंथावली में संकलित की गई कबीर द्वारा रचित साखियाँ ज्ञानपरक शिक्षायें हैं। साखी शब्द साक्षी शब्द का तद्भव रूप है और साक्षी शब्द साक्ष्य से बना है, जिसका अर्थ होता है प्रत्यक्ष ज्ञान। वह प्रत्यक्ष ज्ञान जो एक शिष्य अपने गुरु से प्राप्त करता है।

संतो की परंपरा में अनुभव व व्यवहारिक ज्ञान को ही ज्ञान का वास्तविक रूप माना गया है, शास्त्रीय अर्थात किताबी ज्ञान को नहीं कबीर। कबीर बेहद पढ़े-लिखे व्यक्ति तो नहीं थे, लेकिन उनका अनुभव का क्षेत्र व्यापक था और साखी उनके अनुभवों का ही निचोड़ है।

कबीर की यह साखियां जीवन के तत्व ज्ञान की शिक्षाएं देती हैं। जीवन की ये शिक्षाएं जितनी प्रभावपूर्ण है, उतनी स्मरण करने और अनुसरण करने योग्य। इन साखियों में संत कबीर ने  ईश्वर, वाणी, आत्मज्ञान, ज्ञान, अज्ञान, व्यवाहरिक ज्ञान, विरह. निंदा, प्रशंसा आदि के विषय में बताया है।

Answered by Anonymous
73

Answer:

कबीर जीके प्रस्तुत दोहों में वाणी को निर्मल रखने का संदेश दिया है उन्होंने क्षेत्रीय ज्ञान की अपेक्षा अनुभव ज्ञान पर बल दिया है ईश्वर की महत्वता बताते हुए उन्होंने उस हर व्यक्ति के हृदय में विराजमान बताया है वह अज्ञान रूपी अंधकार में लोगों को सोता देखकर चिंतित है और कहता है कि जो सच्चे मन से एक बार प्रभु की लग्न में आ जाए वह उसके वियोग में या तो मर जाता है या पागल हो जाता है इसी को भक्तों की चरम सीमा बताया गया है कबीर ने निंदा को हमारी बुराइयां निकालने मे सहायक बताया है और प्रभु की शरण में जाने और भक्तों की संगति में जाने का संदेश दिया है

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