कबीर यहु घर प्रेम का, खाला का धर नाहि ।
सीस उतारै भुई धरै, सो पैठे घर मांहि ।। 5
5 IT
Answers
Answered by
1
Answer:
कबीर यहु घर प्रेम का, ख़ाला का घर नाँहि।
सीस उतारै हाथि करि, सो पैठे घर माँहि॥
परमात्मा का घर तो प्रेम का है, यह मौसी का घर नहीं है जहाँ मनचाहा प्रवेश मिल जाए। जो साधक अपने सीस को उतार कर अपने हाथ में ले लेता है वही इस घर में प्रवेश पा सकता है।
स्रोत :
पुस्तक : कबीर ग्रंथावली (पृष्ठ 276) प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन संस्करण : 2013
Explanation:
hope it helps you
please mark me as brainliest
Similar questions