कबीरदास जी के साखियों में 'प्रेम' एक मानवीय मूल्य(Value) के रूप में प्रतिपादित किया गया हैं? व्याख्या कीजिए।
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कबीर व्यक्ति मन को साफकर उसमें मानवीय मूल्यों की स्थापना करना चाहते थे। काम, क्रोध, मद, लोभ, आदि को उन्होंने मनुष्य का शत्रु बताया। तुलसी ने भी मानवीय विकारों की निंदा की है लेकिन उनकी दृष्टि समाज और समन्वय पर अधिक रही। दोनों ही मूल्यों के आग्रही थे।
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