कबीरदास जी ने व्यवहार और वाणी को शीतल बनाये रखने की शिक्षा क्यों दी है? *
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ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोय
औरन को शीतल करे आपहू शीतल होय
अर्थ = कबीर दास जी ने आपने दोहे मे वाणी यानी आपने मुह से निकली बातो को अत्यधिक महतव्पूर्ण बताया है हमे ऐसी मधुर वाणी बोल नी चाहिए जीसे दूसरो को शीतलता का अनुभो हो और साथ ही हमरा मैन भी प्रसन्न हो उठे ।
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कबीर दास जी ने व्यहार और वाणी को शीतल बनए रखने की शिक्षा इसलिये दी है ताकी मनुष्य के अनदर प्रेम की भावना सदेव बनी रहे
I hope this is right answer otherwise I am sorry
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