Hindi, asked by 20267816, 8 days ago

' कबीरदास ' जी द्वारा लिखित साखियों ' की सुलेख के रूप में लिखिए ।​

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Answered by ayushmanverma71
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Answer:

सब अँधियारा मिटी गया , जब दीपक देख्या माँहि।।

मैं – अहम् ( अहंकार )

हरि – परमेश्वर

अँधियारा – अंधकार

प्रसंग -: प्रस्तुत साखी हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श ‘ से ली गई है। इस साखी के कवि कबीरदास जी हैं। इसमें कबीर जी मन में अहम् या अहंकार के मिट जाने के बाद मन में परमेश्वर के वास की बात कहते है।

व्याख्या -: कबीर जी कहते हैं कि जब इस हृदय में ‘मैं ‘ अर्थात मेरा अहंकार था तब इसमें परमेश्वर का वास नहीं था परन्तु अब हृदय में अहंकार नहीं है तो इसमें प्रभु का वास है। जब परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन हुए तो अज्ञान रूपी अहंकार का विनाश हो गया।

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