कबीरदास किस प्रकार के बड़प्पन को किसी के लिए भी उपयोगी नहीं मानते?
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कविवर कबीरदास कहते हैं मनुष्य की इच्छा, उसका एश्वर्य अर्थात धन सब कुछ नष्ट होता हैं यहाँ तक की शरीर भी नष्ट हो जाता हैं लेकिन फिर भी आशा और भोग की आस नहीं मरती.... इसलिए कबीर दास जी कहते हैं ऐसे बड़े होने का कोई फायदा नहीं, दिल से और कर्मों से जो बड़ा होता हैं वही सच्चा बड़प्पन कहलाता हैं
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