कबीरदास ने अपनी वाणी में मन के विषय में
क्या कहा है ?
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यह बात हम नहीं बल्कि भक्तिकाल के प्रसिद्घ संत कवि कबीरदास जी ने कहा है। आइये जानें कबीरदास जी ने ऐसा क्यों कहा है। कबीरदास जी अपने एक दोहे में कहते हैं कि 'नारी निरखि न देखिए, निरखि न किजै दौर। देखत ही ते विष चढ़ै, मन आवे कछु और।।
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