कबीरदास,तुलसीदास,मीराबाई संत रैदास के भकित दोहे कठ रथे करके आए (कोई 5)
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संत कबीर
- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
- पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
- तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
- धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
- जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
- अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
यदि आप अर्थ चाहते हैं, तो कृपया मुझे बताएं ..
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