History, asked by palakchoudhary301, 1 year ago

Kab Tak ticking Ye Na Kar Aatma​

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Answered by Suzuka222
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जीव आत्मा

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नामांकन के पश्चात भी इस लेख को सुधारा जा सकता है, परंतु चर्चा सम्पूर्ण होने से पहले इस साँचे को लेख से नहीं हटाया जाना चाहिये। नामांकनकर्ता ने नामांकन के लिये निम्न कारण दिया है:

लेख प्रचार और मूल शोध है।

'जीव आत्मा'

हिन्दु मान्यता अनुसार व वैदिक तथ्यों पर आधारित यह एक कटु सत्य है कि हर जीवित जीव किसी अदृश्य शक्ति द्वारा सन्चालित अथवा नियन्त्रित किया जाता है पौराणिक मान्यताओ अनुसार जीव आत्मा ही एक ऐसा माध्यम है जो हर जीव में उस समय तक सजग अवस्था में कार्यान्वित रहता है जब तक वह प्राणि जीवित अवस्था में होता है मृत्यु उपरान्त जीव-आत्मा उस शरीर को छोड़ बृह्मलीन हो जाती है किसी भी जीवित प्राणी की आत्मा का सम्बन्ध परोक्ष रूप से उस अज्ञात शक्ति द्वारा सथापित रहता है। कौन है वो अज्ञात शक्ति वास्तव में आज तक उसे किसी ने नहीं देखा परन्तु हर धर्म , हर समुदाऔ व देशों में इस सन्धर्भं में कदाचित भिन्न-२ धारणाऐं हैं। आज के इस अत्याधुनिक युग में भी हजारों विज्ञानिक भी इस सच्चाई को मानने लगे हैं कि कोई अदृश्य या बाह्य शक्ति हम पर नियन्त्र्ण किऐ हुऐ है जिसकी खोज में वे ळोग अपना सारा ध्यान व अब तक का सारा रिसर्च वर्क इसी पर केन्द्रित किऐ हुए हैं।

अब मैं असल बात पर आता हुँ जब ये सब सच्चाई है तो संसार इस बात को मानने से क्यूं परहेज करता है जो वैज्ञानिक तथ्य भारत के ॠषि-मुनियों ने अपनी विज्ञानिक व अध्यात्मिक तपस्या द्वारा प्रमानिक तथ्य हजारों साल पहले दे दिऐ थे उन्हें क्यूँ मानना नहीं चाहता इसका सबसे बड़ा कारण है कि तब सारा श्रेय भारतवर्ष को देना पडेगा ये सब भी इतना महत्व नहीं रखता मुझे मालूम है एक दिन सम्पुर्ण संसार वही सब मानने वाला है जो हमारे द्वारा प्रमाणिक है।

जीव आत्मा एक माध्यम है एक निर्जिव प्राणी को यथा सम्भ्ंव् स्ंन्चालित् करने के लिऐ और इस सम्पूर्ण प्र्क्रिया को ब्रह्माण्ड में हमारे सौर मण्डल में उपस्थित नव ग्रहों द्वारा उनके स्थाई व अस्थाई दृर्षिटी गोचर स्वरुपानुषार विचरण करते हुऐ नियन्त्रित करते हैं परन्तु इन ग्रहो का फ़ल केवल'जीव आत्मा' द्वारा किये गये उसके पुर्व जन्मों के कर्मों द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। जिसे केवल कर्मफ़ल दाता श्री शन्निदेव ही h

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लेख प्रचार और मूल शोध है।

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हिन्दु मान्यता अनुसार व वैदिक तथ्यों पर आधारित यह एक कटु सत्य है कि हर जीवित जीव किसी अदृश्य शक्ति द्वारा सन्चालित अथवा नियन्त्रित किया जाता है पौराणिक मान्यताओ अनुसार जीव आत्मा ही एक ऐसा माध्यम है जो हर जीव में उस समय तक सजग अवस्था में कार्यान्वित रहता है जब तक वह प्राणि जीवित अवस्था में होता है मृत्यु उपरान्त जीव-आत्मा उस शरीर को छोड़ बृह्मलीन हो जाती है किसी भी जीवित प्राणी की आत्मा का सम्बन्ध परोक्ष रूप से उस अज्ञात शक्ति द्वारा सथापित रहता है। कौन है वो अज्ञात शक्ति वास्तव में आज तक उसे किसी ने नहीं देखा परन्तु हर धर्म , हर समुदाऔ व देशों में इस सन्धर्भं में कदाचित भिन्न-२ धारणाऐं हैं। आज के इस अत्याधुनिक युग में भी हजारों विज्ञानिक भी इस सच्चाई को मानने लगे हैं कि कोई अदृश्य या बाह्य शक्ति हम पर नियन्त्र्ण किऐ हुऐ है जिसकी खोज में वे ळोग अपना सारा ध्यान व अब तक का सारा रिसर्च वर्क इसी पर केन्द्रित किऐ हुए हैं।

अब मैं असल बात पर आता हुँ जब ये सब सच्चाई है तो संसार इस बात को मानने से क्यूं परहेज करता है जो वैज्ञानिक तथ्य भारत के ॠषि-मुनियों ने अपनी विज्ञानिक व अध्यात्मिक तपस्या द्वारा प्रमानिक तथ्य हजारों साल पहले दे दिऐ थे उन्हें क्यूँ मानना नहीं चाहता इसका सबसे बड़ा कारण है कि तब सारा श्रेय भारतवर्ष को देना पडेगा ये सब भी इतना महत्व नहीं रखता मुझे मालूम है एक दिन सम्पुर्ण संसार वही सब मानने वाला है जो हमारे द्वारा प्रमाणिक है।

जीव आत्मा एक माध्यम है एक निर्जिव प्राणी को यथा सम्भ्ंव् स्ंन्चालित् करने के लिऐ और इस सम्पूर्ण प्र्क्रिया को ब्रह्माण्ड में हमारे सौर मण्डल में उपस्थित नव ग्रहों द्वारा उनके स्थाई व अस्थाई दृर्षिटी गोचर स्वरुपानुषार विचरण करते हुऐ नियन्त्रित करते हैं परन्तु इन ग्रहो का फ़ल केवल'जीव आत्मा' द्वारा किये गये उसके पुर्व जन्मों के कर्मों द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। जिसे केवल कर्मफ़ल दाता श्री शन्निदेव ही

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