Hindi, asked by Delighted, 1 month ago

kabaddi ka aankhon dekha haal esse in hindi​

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Answered by Amit00462
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प्रस्तावना:

कबड्डी हमारा राष्ट्रीय खेल है । गांव के लोग इसे बहुत पसन्द करते हैं । अब इसे शहरों में भी मान्यता मिलने लगी है और राष्ट्रीय ररार पर भी इसके मैच होते हैं ।

गिल्ली-डंडा की भांति यह खेल भी खर्चीला नहीं है । अधिकतर लोग गिल्ली-डंडा की बजाय कबड्‌डी अधिक पसन्द करते है क्योकि इससे गिल्ली-डंडा की अपेक्षा खतरा बहुत कम होता है । मैं कबड्‌डी का बड़ा शौकीन हूं । इसलिए किसी कबड्‌डी मैच को देखने का अवसर नहीं गंवाता ।

टीमों का वर्णन:

इस वर्ष यूथ रैली में मुझे एक अति रोचक कबड्‌डी मैच देखने का मौका मिला । ग्यारह नवम्बर को हमारे स्कूल की टीम और श्री सनातन धर्म स्कूल की टीम के बीच फाइनल कबड्‌डी मैच खेला गया । हमारी टीम के कप्तान श्रीजयप्रकाश थे, जो जिले के मशहूर कबड्‌डी खिलाड़ी हैं । श्री सनातन धर्म रकूल की टीम के कप्तान श्री विद्यानन्द थे । वे भी शहर के जाने-माने कबड्‌डी खिलाड़ी हैं । श्रीबिशन सिंह को रेफरी बनाया गया ।

खिलाडियों और दर्शकों का वर्णन:

लगभग चार बजे शाम को दोनों ही टीमें मैदान में उतरी । मैदान के चारो ओर दोनों ही स्कूलों के विद्यार्थियों की अच्छी-खासी भीड़ जमा थी । सभी खिलाड़ी अपनी-अपनी स्कूल की वर्दियों में थे । दोनों ही टीमो का हर्षध्वनि से स्वागत किया गया । उनके बीच टॉस हुआ । हमारे कप्तान ने टॉस जीता ।

मध्यांतर के पहले का खेल:

इतने में रेफरी ने जोर से सीटी बजाई । शोर मचाती दर्शकों की भीड़ एकदम शान्त हो गई और खेल शुरू हो गया । हमारा कप्तान पाले की रेखा पार करके आगे बढ़ा । वह ‘कबड्‌डी-कबड्‌डी’ कहता हुआ, बिना सास तोड़े विरोधी पाले में अपने विरोधियों पर आक्रमण करने का प्रयास कर रहा था ।

Answered by thehearthacker7
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Answer:

प्रस्तावना:

कबड्डी हमारा राष्ट्रीय खेल है । गांव के लोग इसे बहुत पसन्द करते हैं । अब इसे शहरों में भी मान्यता मिलने लगी है और राष्ट्रीय ररार पर भी इसके मैच होते हैं ।

गिल्ली-डंडा की भांति यह खेल भी खर्चीला नहीं है । अधिकतर लोग गिल्ली-डंडा की बजाय कबड्‌डी अधिक पसन्द करते है क्योकि इससे गिल्ली-डंडा की अपेक्षा खतरा बहुत कम होता है । मैं कबड्‌डी का बड़ा शौकीन हूं । इसलिए किसी कबड्‌डी मैच को देखने का अवसर नहीं गंवाता ।

टीमों का वर्णन:

इस वर्ष यूथ रैली में मुझे एक अति रोचक कबड्‌डी मैच देखने का मौका मिला । ग्यारह नवम्बर को हमारे स्कूल की टीम और श्री सनातन धर्म स्कूल की टीम के बीच फाइनल कबड्‌डी मैच खेला गया । हमारी टीम के कप्तान श्रीजयप्रकाश थे, जो जिले के मशहूर कबड्‌डी खिलाड़ी हैं । श्री सनातन धर्म रकूल की टीम के कप्तान श्री विद्यानन्द थे । वे भी शहर के जाने-माने कबड्‌डी खिलाड़ी हैं । श्रीबिशन सिंह को रेफरी बनाया गया ।

खिलाडियों और दर्शकों का वर्णन:

लगभग चार बजे शाम को दोनों ही टीमें मैदान में उतरी । मैदान के चारो ओर दोनों ही स्कूलों के विद्यार्थियों की अच्छी-खासी भीड़ जमा थी । सभी खिलाड़ी अपनी-अपनी स्कूल की वर्दियों में थे । दोनों ही टीमो का हर्षध्वनि से स्वागत किया गया । उनके बीच टॉस हुआ । हमारे कप्तान ने टॉस जीता ।

मध्यांतर के पहले का खेल:

इतने में रेफरी ने जोर से सीटी बजाई । शोर मचाती दर्शकों की भीड़ एकदम शान्त हो गई और खेल शुरू हो गया । हमारा कप्तान पाले की रेखा पार करके आगे बढ़ा । वह ‘कबड्‌डी-कबड्‌डी’ कहता हुआ, बिना सास तोड़े विरोधी पाले में अपने विरोधियों पर आक्रमण करने का प्रयास कर रहा था ।

उसका पद-संचालन बड़ा फुर्तीला था । उसने अपनी कला का बडा अच्छा प्रदर्शन किया । विरोधी टीम के लोग उसे घेरने का भरसक प्रयास करते हुए अपने पाले में अन्दर लाने का प्रयास करते रहे । वे अपनी सीमारेगा तक पीछे हट जाते । इतने में कप्तान एक विरोधी खिलाड़ी को छूने में कामयाब हो गया । उसकी सांस उखड़ने लगी थी ।

अत: वह भाग कर अपने पाले में लौट आया । उसने एक अंक प्राप्त कर लिया । अब विरोधी कप्तान विद्यानंद आगे बढ़ा । उसने हमारी टीम को रक्षात्मक रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया । हमारे सभी खिलाड़ी एकदम सीमारेखा तक पीछे आ गए । वह हमारे कप्तान पर तेजी से कूदा ।

उसे पकड़ा लिया गया । उसने खिलाड़ियों के साथ घिसटते हुए पाला रेखा को छूने के लिए जी-तोड़ कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहा । उसकी सांस उखड़ गई । इस तरह उसने एक अंक गंवा दिया । सनातन धर्म टीम अब बड़ी उत्तेजित हो उठी । आठ दिन बाद रेफरी ने लम्बी सीटी बजाकर मध्यांतर की घोषणा कर दी ।

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