कभी अपनी कोठरी में क्यों उदास बैठे हैं
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¿ कवि अपनी कोठरी में क्यों उदास बैठे हैं?
✎... ‘कैदी और कोकिला’ पाठ में कवि अपनी कोठी में उदास इसलिए बैठे हैं, क्योंकि वह पराधीनता की जंजीरों से जकड़े हुए हैं। उन्हें स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के कारण अंग्रेजों ने कैद करके कोठी में डाल दिया है और जेल में उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थीं। उन्हें जंजीरों से कसकर बांध दिया जाता था और कोल्हू आदि खिंचवाई जाते थे। उनसे क्रूर व्यवहार किया जाता था और पशुओं की तरह काम करवाया जाता था। उन्हें कड़ी धूप में पत्थरों को तोड़ने के लिये कहा जाता था। पराधीनता में जकड़े होने और स्वतंत्रता से वंचित होने के कारण कवि अपनी कोठरी में उदास बैठे हैं।
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प्रश्न :- कवि अपनी कोठरी में क्यों उदास बैठे हैं ?
उतर :-
यह वाक्या भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा लिखित कविता ' घर की याद ' से है l
कवि को जेल प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा सता रही है l सावन के बादलों को देखकर कवि को घर की याद आती है। वह घर के सभी सदस्यों को याद करता है । उसे अपने भाइयों व बहनों की याद आती है । कवि को अपनी अनपढ़, पुत्र के दुख से व्याकुल, परंतु स्नेहमयी माँ की याद आती है। वह पत्र भी नहीं लिख सकती । कवि को अपने पिता की याद आती है जो बुढ़ापे से दूर हैं । यह सोच कर अपनी जेल की कोठरी में कवि उदास हो जाता है ll
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