कभी जेल में अन्य पक्षी की आवाज भी सुनता होगा लेकिन उन्होंने कोयल की ही बात क्यों की
ANS कवि ने कोयल केविन स्वर के कारण यहां कोकिला की ही बात की है कोयल वैसे भी रात को नहीं बोलती इसका इस प्रकार बोलना कभी को अंदर तक छू लेता है
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कभी जेल में अन्य पक्षी की आवाज भी सुनता होगा लेकिन उन्होंने कोयल की ही बात क्यों की
ANS कवि ने कोयल केविन स्वर के कारण यहां कोकिला की ही बात की है कोयल वैसे भी रात को नहीं बोलती इसका इस प्रकार बोलना कभी को अंदर तक छू लेता है
कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।
उत्तर :-
कवि ने निश्चित रूप से जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना सुना होगा। वे आधी रात के अंधकार में नहीं चहकते होंगे । कोकिला की आवाज़ अन्य पक्षियों से अधिक मधुर तथा अलग होती है। कोकिला रात को तब कूकी थी जब कवि अपनी पीड़ा की गहराई को अनुभव कर रहा था । उसे ऐसा लगा कि उसकी तरह कोयल भी स्वयं को देश रूपी जेल में अनुभव कर रही है। कोयल बाहर रो रही थी और कवि जेल के भीतर । इसलिए एक ही स्थिति को अनुभव करने के कारण कवि ने कोयल की ही की बात की थी।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।