कभी कभी इंसान सच मे में हार जाता है, खामोश रहते रहते सफाई देते देते रिश्ते निभाते निभाते और अपनो को मनाते मनाते ।
इन शब्दों के गहराई को उद्घाटित करे ।
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कभी कभी इंसान सच में हार जाता है, खामोश रहते, सफाई देते, रिश्ते निभाते, और अपनो को मनाते, आप इन शब्दों के गहराई को कैसे उद्घाटित करेंगे? हर हाल में चलना सीखो।" इन शब्दों की गहराई अनंत है। इंसान हारता तब है, जब उसे अपनों से अपेक्षानुसार वो सम्मान नहीं मिलता, जिसका वो हक़दार होता है।
हमें कभी भी किसी की भावनाओं के साथ नहीं खेलना चाहिए। क्योंकि जब यही चीजें पलटकर हमारे साथ होती है तब समझ में आता है कि किसी का दिल जान बूझकर दुखाना कितनी गलत बात होती है। हमारे ऐसा करने से उस व्यक्ति को कितनी तकलीफ हुई होगी, अगर हम जानते समझते हुए किसी की भावनाओं के साथ खेलते हैं तो आज नहीं तो कल हमें अपनी गलती का एहसास होता है और उस गलती के पछतावे के साथ जीना बहुत मुश्किल होता है। अगर हम किसी से प्यार नहीं कर सकते और रिश्ता नहीं निभा सकते तो जानबूझकर उसकी भावनाओं के साथ खेलकर उसका दिल दुखाने का हमारा कोई हक नहीं बनता। जो व्यक्ति दुसरो की भावनाओं से खेल रहा है वो कैसे ईमानदार हो सकता है किसी भी रिश्ते के लिए क्योंकि रिश्तों में ईमानदारी रखने या दिखाने के लिए आपका दुसरो की भावनाओं की कद्र करना सबसे पहला धर्म होता है ।
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