कभी नही जो तज सकते हैं, अपना न्यायोचित अधिकार कभी नही जो सह सकते हैं, शीश नवाकर अत्याचार एक अकेले हों, या उनके साथ खड़ी हो भारी भीड़ मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़ Hindi Meaning of This Poem
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कभी नहीं जो तज सकते हैं, अपना न्यायोचित अधिकार !! कभी नहीं जो सह सकते हैं, शीश नवाकर अत्याचार !! एक अकेले हों या उनके, साथ खड़ी हो भारी भीड़!! मैं हूं उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़।
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पकितयो Ka aarth spshat
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