Hindi, asked by yogitakambleyk19, 5 months ago

कबहुँ प्रबल बह मारुत, जहँ-तहँ मेघ बिलाहिं।
जिमि कपूत के उपजे, कुल सद्धर्म नसाहिं ।।
कबहुँ दिवस महँ निबिड़ तम, कबहुँक प्रगट पतंग ।
बिनसइ-उपजइ ग्यान जिमि, पाइ कुसंग-सुसंग ।।
iska saral artha likhiye
please it's important ​

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Answered by shishir303
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कबहुँ प्रबल बह मारुत, जहँ-तहँ मेघ बिलाहिं।

जिमि कपूत के उपजे, कुल सद्धर्म नसाहिं ।।

भावार्थ : कभी-कभी वायु बड़े वेग से चलने लगती है और वायु के वेग के कारण बादल इधर-उधर गायब हो जाते हैं। बिल्कुल उसी तरह कुपुत्र के उत्पन्न होने से कुल के श्रेष्ठ आचरण और गुण सब नष्ट हो जाते हैं।

कबहुँ दिवस महँ निबिड़ तम, कबहुँक प्रगट पतंग ।

बिनसइ-उपजइ ग्यान जिमि, पाइ कुसंग-सुसंग ।।

भावार्थ : कभी-कभी बादलों के कारण सूर्य बादलों की ओट में छिप जाते हैं और दिन में भी चारों तरफ घोर अंधकार छा जाता है। लेकिन जैसे ही सूर्य प्रकट होते हैं, चारों तरफ प्रकाश फैल जाता है। उसी तरह कुसंगति में आकर श्रेष्ठ ज्ञान भी नष्ट हो जाता है और सुसंगति में ज्ञान और निखर उठता है।

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