कभी सीने पे रख के लेट जाते थे
कभी गोदी में लेते थे
कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बना कर
नीम-सजदे में पढ़ा करते थे, छूते थे जबीं से
वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी
Answers
किताबों से जो ज़ाती राब्ता था, वो कट गया है
कभी सीने पर रखकर लेट जाते थे
कभी गोदी में लेते थे
कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बनाकर
नीम सजदे में पढ़ा करते थे, छूते थे जबीं से
वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी
मगर वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल
और महके हुए रुक्के
किताबें मँगाने, गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे
उनका क्या होगा
पद्यांश में प्रयुक्त निम्नलिखित उर्दू शब्दों के अर्थ लिखिए :
(i) नीम-सजदे
(ii) इल्म
(iii) आइंदा
➲ प्रश्न में दिये गये उर्दूं शब्दों के अर्थ इस प्रकार होंगे...
(i) नीम सजदे ⦂ आधा सिर झुकाकर
(ii) इल्म ⦂ ज्ञान, हुनर
(iii) आइंदा ⦂ फिर कभी
निम्नलिखित शब्दों के अर्थवाले शब्द पद्यांश से ढूँढकर लिखिए :
(i) माथा
(ii) पुर्जा
(iii) ज्ञान
(iv) छाती
➲ पद्यांश में मिलते-जुलते शब्द...
माथा ⦂ जबीं
पुर्जा ⦂ रुक्के
ज्ञान ⦂ इल्म
छाती ⦂ सीने
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