Kabhi kabhi hirday vo bhi dekh Leta hai jo aakye Nahi dekh Pata
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यह एच। जैक्सन ब्राउन का एक प्रसिद्ध उद्धरण है। यह उद्धृत है कि भावनाओं और भावनाओं को केवल दिल से समझ लिया जाता है हमारी आंखें दयालुता और वफादारी नहीं देख सकतीं, लेकिन हमारा दिल निश्चित रूप से करता है। हमारी आँखें मस्तिष्क के साथ काम करती हैं और हमें देखने में मदद करती हैं, लेकिन मानव शरीर में हृदय को शामिल करने, न केवल रक्त प्रसारित करता है, बल्कि हमारी दृष्टि को भी पूरा करता है हम में से अधिकांश विश्वास करते हैं कि ईश्वर अस्तित्व में है, लेकिन क्या किसी ने उसे देखा है? जाहिर है, इसका उत्तर नहीं है, लेकिन हम सभी अपने दिल से महसूस करते हैं कि भगवान इस दुनिया में रहते हैं और अच्छे और बुरे कामों के लिए जिम्मेदार हैं। यदि सवाल उठता है, तो क्या आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं, हममें से अधिकांश हां कहते हैं। लेकिन अगर कोई कहता है, क्योंकि हमारी आंखों ने भगवान को नहीं देखा, तो परमेश्वर मौजूद नहीं है, हममें से अधिकतर सहमत नहीं होंगे, जैसा कि हमारा दिल देखता है मैत्री, प्रेम, स्नेह, देखभाल, सच्चाई, सच्चाई .... सभी भावनाओं और भावनाओं को मनाया जाता है दिल, लेकिन हमारी आँखों से नहीं। आंखें केवल कुछ की भौतिक स्थिति को देख सकती हैं, लेकिन हमारा दिल भावनात्मक स्थिति और भावनाओं को देखने में सक्षम है। हमारी आंखों के साथ, हम देख सकते हैं कि एक व्यक्ति को बहुत मुस्कुराहट और हमेशा खुश होता है, लेकिन केवल हमारा दिल गहरे और अकेला पक्ष को समझ सकता है, जिसे हमारे दिमाग और आँखों से नहीं देखा जा सकता है। समझ और बंधन का स्तर केवल तब ही बढ़ सकता है जब हमारे दिल में आंतरिक भावनाओं को समझने की क्षमता होती है। हमें बेहतर समझने के लिए एक कहानी लेनी चाहिए: सारू एक गरीब लड़का विशाखापटनम शहर में रहता था। वह हमेशा विजाग की सड़कों के आसपास भटकते थे।
एक दिन, अपने पिता के जन्मदिन से पहले, अपनी मां ने अपने पिता को आश्चर्य करने के लिए एक केक की दुकान में जाने के लिए अपनी मां से मुलाकात की। बहुत सारी कठिनाई के साथ वे लगभग 50 / - बचा सकते हैं। वहां पर, उस लड़के ने वेनिला के साथ चॉकलेट के स्वाद का एक प्यारा केक देखा।
माँ ने रक्षक से पूछा, "इस केक की कीमत क्या है?" रक्षक ने उत्तर दिया "केवल 100 / - महोदया"
लड़का और माँ उदास हो गए, वे जाने वाले थे, बस एक आदमी अंदर आया, जो एक पूर्ण अजनबी था और शेष 50 / - का भुगतान किया।
माँ ने पैसे लेने से इनकार कर दिया, और उसने कहा "हृदय देखता है कि मेरी आंखें क्या नहीं देख पातीं" और चले गए। लड़के ने अपने पिता को एक मिठाई आश्चर्य दिलाया उपरोक्त कहानी लड़के और अजनबी की मां के प्रति दया और भावनात्मक भावना को दर्शाती है जो मां और बेटे की सहायता करने के लिए इच्छा पैदा हुई थी। अजनबी की आंखों से ही पता चलता है कि वे माता और बेटे थे, जो काफी गरीब थे, लेकिन उनके दिल ने परिवार की मदद की और एक सुखद जन्मदिन का आश्चर्य का आयोजन किया।
Asha hai aapka aap ka uttar prapt hua
एक दिन, अपने पिता के जन्मदिन से पहले, अपनी मां ने अपने पिता को आश्चर्य करने के लिए एक केक की दुकान में जाने के लिए अपनी मां से मुलाकात की। बहुत सारी कठिनाई के साथ वे लगभग 50 / - बचा सकते हैं। वहां पर, उस लड़के ने वेनिला के साथ चॉकलेट के स्वाद का एक प्यारा केक देखा।
माँ ने रक्षक से पूछा, "इस केक की कीमत क्या है?" रक्षक ने उत्तर दिया "केवल 100 / - महोदया"
लड़का और माँ उदास हो गए, वे जाने वाले थे, बस एक आदमी अंदर आया, जो एक पूर्ण अजनबी था और शेष 50 / - का भुगतान किया।
माँ ने पैसे लेने से इनकार कर दिया, और उसने कहा "हृदय देखता है कि मेरी आंखें क्या नहीं देख पातीं" और चले गए। लड़के ने अपने पिता को एक मिठाई आश्चर्य दिलाया उपरोक्त कहानी लड़के और अजनबी की मां के प्रति दया और भावनात्मक भावना को दर्शाती है जो मां और बेटे की सहायता करने के लिए इच्छा पैदा हुई थी। अजनबी की आंखों से ही पता चलता है कि वे माता और बेटे थे, जो काफी गरीब थे, लेकिन उनके दिल ने परिवार की मदद की और एक सुखद जन्मदिन का आश्चर्य का आयोजन किया।
Asha hai aapka aap ka uttar prapt hua
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Hey dear friend ,
Here is your answer - -
★★ कभी कभी हृदय वह भी देख लेता है जो खुली आंखें नहीं देख सकती ★★
प्रिय मित्र ,
आपके द्वारा कहा गया यह वाक्य बिल्कुल सत्य है, ■ ■ ■ परंतु कभी-कभी हृदय के द्वारा देखा गया हाल बहुत कष्ट देता है और वह वास्तविक सत्य नहीं होता ■ ■ ■
मित्र आज के वर्तमान समय में हम जैसा अपनी आंखों से देखते हैं वैसा सत्य नहीं है ।
उदाहरण के लिए हमारे घर पर कोई भी भिखारी आता है । हमसे खाना मांगता है । हम उसे खाना दे देते हैं । वह जाते समय पैसे मांगता है । हम से पैसे भी देते हैं । पर अब वह शाम को उन पैसों को लेकर कहां जाता है , यह समस्या है ?
हो सकता है इन पैसों को लेकर दारू गड्ढे में जाए और शराब पिये ।
और हम दूसरे दृष्टिकोण से यह देख सकते हैं कि अगर कोई साधारण बच्चा अच्छे कपड़े पहने हैं ।फिर भी वह ■ ■ ■ हमसे डोनेशन लेने आता है । वह भी एक प्रकार की भीख ही है ■ ■ ■ ।
● ◆ ◆ परंतु उसका प्रकार बदल गया वह【 भीख से बदलकर डोनेशन हो गई】 क्योंकि बच्चे ने साफ सुथरे कपड़े पहने हैं । उसका स्टैंडर्ड अच्छा है । वह पैसे ले जाता है और वह भी अपने दोस्तों से ज्यादा पार्टी कर लेता है । इसमें भी वही दृष्टिकोण देखा गया जो उस भिखारी के साथ देखा गया।
इस प्रकार से इस बच्चे और भिखारी में कोई फर्क नहीं है ।
अब दूसरे दृष्टिकोण में एक फटे पुराने कपड़े पहने एक बच्चा आता है । आपके घर आता है । आप भीख मांगता है । आप उसे ₹5 देने हैं । आप ना चाहते हुए भी आपके दिल से आवाज आती है। कि यह इन 5 रूपों का कोई दुरुपयोग नहीं करेगा । आप उसे देखना चाहते हैं कि वह बच्चा इन ₹5 का क्या करता है । आप उसके पीछे जाते हैं उसका पीछा करते रहते हैं ।बअंत में वह आपको एक सुनसान मैदान में दिखाई देता है । वहां पर उसका कोई एक साथी जो लंगड़ा बैठा है । उसे उठाता है और साथ उसके झूले को उठाता है । और पास के ही एक चाय के स्टॉल में जाता है । और उसे चाय पिलाता है ओर और खुद नहीं पीता क्योंकि पैसे खत्म हो गए ।
उसने आपके द्वारा दिए गए ₹5 से खुल जाना भी एक दूसरे को चाय पिलाई । यह वह सत्य है जो आपके दिल ने देखा आपके हृदय ने दिल ने देखा । आपकी आंखों में तो सिर्फ एक बच्चे को भीख मांगते देखा था । और एक बेकार हो भीख यह वह सत्य है जो आपकी आंख नहीं आपका दिल देख पाया और वह स्टैंडर्ड बच्चे का सत्य आपका दिल नहीं देख पाया सिर्फ आपके ऊपर आंख देख पाए ।
Thanks ;) ☺☺☺
Here is your answer - -
★★ कभी कभी हृदय वह भी देख लेता है जो खुली आंखें नहीं देख सकती ★★
प्रिय मित्र ,
आपके द्वारा कहा गया यह वाक्य बिल्कुल सत्य है, ■ ■ ■ परंतु कभी-कभी हृदय के द्वारा देखा गया हाल बहुत कष्ट देता है और वह वास्तविक सत्य नहीं होता ■ ■ ■
मित्र आज के वर्तमान समय में हम जैसा अपनी आंखों से देखते हैं वैसा सत्य नहीं है ।
उदाहरण के लिए हमारे घर पर कोई भी भिखारी आता है । हमसे खाना मांगता है । हम उसे खाना दे देते हैं । वह जाते समय पैसे मांगता है । हम से पैसे भी देते हैं । पर अब वह शाम को उन पैसों को लेकर कहां जाता है , यह समस्या है ?
हो सकता है इन पैसों को लेकर दारू गड्ढे में जाए और शराब पिये ।
और हम दूसरे दृष्टिकोण से यह देख सकते हैं कि अगर कोई साधारण बच्चा अच्छे कपड़े पहने हैं ।फिर भी वह ■ ■ ■ हमसे डोनेशन लेने आता है । वह भी एक प्रकार की भीख ही है ■ ■ ■ ।
● ◆ ◆ परंतु उसका प्रकार बदल गया वह【 भीख से बदलकर डोनेशन हो गई】 क्योंकि बच्चे ने साफ सुथरे कपड़े पहने हैं । उसका स्टैंडर्ड अच्छा है । वह पैसे ले जाता है और वह भी अपने दोस्तों से ज्यादा पार्टी कर लेता है । इसमें भी वही दृष्टिकोण देखा गया जो उस भिखारी के साथ देखा गया।
इस प्रकार से इस बच्चे और भिखारी में कोई फर्क नहीं है ।
अब दूसरे दृष्टिकोण में एक फटे पुराने कपड़े पहने एक बच्चा आता है । आपके घर आता है । आप भीख मांगता है । आप उसे ₹5 देने हैं । आप ना चाहते हुए भी आपके दिल से आवाज आती है। कि यह इन 5 रूपों का कोई दुरुपयोग नहीं करेगा । आप उसे देखना चाहते हैं कि वह बच्चा इन ₹5 का क्या करता है । आप उसके पीछे जाते हैं उसका पीछा करते रहते हैं ।बअंत में वह आपको एक सुनसान मैदान में दिखाई देता है । वहां पर उसका कोई एक साथी जो लंगड़ा बैठा है । उसे उठाता है और साथ उसके झूले को उठाता है । और पास के ही एक चाय के स्टॉल में जाता है । और उसे चाय पिलाता है ओर और खुद नहीं पीता क्योंकि पैसे खत्म हो गए ।
उसने आपके द्वारा दिए गए ₹5 से खुल जाना भी एक दूसरे को चाय पिलाई । यह वह सत्य है जो आपके दिल ने देखा आपके हृदय ने दिल ने देखा । आपकी आंखों में तो सिर्फ एक बच्चे को भीख मांगते देखा था । और एक बेकार हो भीख यह वह सत्य है जो आपकी आंख नहीं आपका दिल देख पाया और वह स्टैंडर्ड बच्चे का सत्य आपका दिल नहीं देख पाया सिर्फ आपके ऊपर आंख देख पाए ।
Thanks ;) ☺☺☺
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