Kabir daas ke rachnao ka ullekh kijiye
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कबीरदास जी की रचनायें
‘कबीरदास’ जी हिन्दी के महान कवि थे। ‘कबीरदास’ जी गणना भक्तिकाल युग के प्रवर्तकों में होती है। उनके काव्यों में भक्तिरस की धारा स्पष्ट रूप से दिखायी पड़ती है। उन्होंने अपने काव्यों के माध्यम से तत्कालीन समाज में व्याप्त पाखंड और कुरीतियों पर भी प्रहार किया है।
‘कबीरदास’ जी रचनायें कबीर के दोहे नाम प्रसिद्ध हैं। उनके शिष्यों ने उनकी रचनाओं का संग्रह कर उसको ‘बीजक’ नाम दिया। इस ग्रंथ के तीन भाग हैं।
- रमैनी
- शबद
- साखी
रमैनी — ‘रमैनी’ अधिकतर चौपाईयां छंदों के रूप में लिखे गयी हैं। इसमें कबीर के दार्शनिक विचारों का प्रकटीकरण होता है।
शबद — ‘शबद‘ अर्थात ‘पद’। इसमें कबीरदास जी ने संगीतात्मक शैली में भावप्रधान होकर लिखा हैं। इन पदों में कबीर अपने प्रेम और साधना के भाव को अभिव्यक्त करते हैं।
साखी — इसमें दोहों के रूप में साखियां लिखी गयी हैं। साखी संस्कृत के साक्षी शब्द का अपभ्रंश रूप है। कबीर की साखियां ही जनमानस में सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।