Kabir das ji ki Kavita. Write poem would marked as branliest
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साधो, देखो जग बौराना / कबीरसहज मिले अविनासी / कबीरकाहे री नलिनी तू कुमिलानी / कबीरमन मस्त हुआ तब क्यों बोलै / कबीररहना नहिं देस बिराना है / कबीरकबीर की साखियाँ / कबीरहमन है इश्क मस्ताना / कबीरकबीर के पद / कबीर
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गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागे पाय बलिहारी गुरु आपने Govind diyo Bataye Kabira Govind diyo Bataye
Aisi Vani boliye Man Ka Aapa Khoye dusron ko Sheetal Kare aap hi Sheetal Ho Kabira aap hi Sheetal Ho
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