kabir das ka jeevan parichay
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संत कबीर का जन्म 1398 में हुआ था ।
उनका देहांत 1518 में हुआ था ।
उन्हें अनुभव के आधार पर ज्ञान प्राप्त हुआ था ।
वे निर्गुण भक्ति में विश्वास करते थे ।
उन्होंने धर्म के आधार पर होने वाले प्रचलित अंधविश्वासों का खंडन किया था ।
उनके अनुसार भगवन घाट घाट में व्याप्त है , वह लोगो की हर साँस में समाया है ।
#Be Brainly !!
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उनकी महान रचना बीजक में कविताओं की भरमार है जो कबीर के धार्मिकता पर सामान्य विचार को स्पष्ट करता है। कबीर की हिन्दी उनके दर्शन की तरह ही सरल और प्राकृत थी। वो ईश्वर में एकात्मकता का अनुसरण करते थे। वो हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा के घोर विरोधी थे और भक्ति तथा सूफ़ी विचारों में पूरा भरोसा दिखाते थे।
कबीर के द्वारा रचित सभी कविताएँ और गीत कई सारी भाषाओं में मौजूद है। कबीर और उनके अनुयायियों को उनके काव्यगत धार्मिक भजनों के अनुसार नाम दिया जाता है जैसे बनिस और बोली। विविध रुप में उनके कविताओं को साखी, श्लोक (शब्द) और दोहे (रमेनी) कहा जाता है। साखी का अर्थ है परम सत्य को दोहराते और याद करते रहना। इन अभिव्यक्तियों का स्मरण, कार्य करना और विचारमग्न के द्वारा आध्यात्मिक जागृति का एक रास्ता उनके अनुयायियों और कबीर के लिये बना हुआ है।
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