Kabir Das ka vyaktitva aur krititva in Hindi
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Answer: कबीरदास जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों ही महान हैं। विपरीत काल-परिस्थितियों की परवाह न करके उन्होंने जिस प्रकार सामाजिक कुरीतियों तथा आडंबर एवं पाखंड का निर्भीकता से विरोध किया वह श्लाघनीय है। आपसी मतभेद को मिटाकर सर्वधर्म समानता के मानवीय धर्म को कबीर दास जी ने बल प्रदान किया | अज्ञान से उपजे भ्रम को मिटाकर तथा असत्य को रौंदकर घट-घट में सत्य के दर्शन कराने वाले कबीर दास जी हिंदी साहित्य के साथ-साथ संत परंपरा में भी अग्रगण्य है।
कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न- भिन्न है । कबीर की वाणी का संग्रह "बीजक" के नाम से प्रसिद्ध है । इसके 3 भाग है | रमैनी , सबद और साखी । यह पंजाबी राजस्थानी खड़ी बोली अवधी पूर्वी ब्रजभाषा आदि कई भाषाओं का मेल है । कबीर परमात्मा को मित्र ,माता -पिता और पति के रूप में देखते थे । कबीर का जीवन सबके लिए था वे किसी जाति के या धर्म संप्रदाय विशेषके नहीं थे | वे अहिंसा सत्य सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक थे । उनका सरल तथा साधु स्वभाव एवं संत प्रवृत्ति के कारण ही लोगों में उनका इतना आदर है ।
Answer:
कबीरदास 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी संत और कवि थे।
Explanation:
कबीर दास का जन्म 1398 में हुआ था। कबीरदास हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हुए थे। इनका लेखन सिख धर्म के ग्रंथो में भी दिखाई देता है। कबीरदास हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म को भी मानते थे, वे ईश्वर में विश्वास रखते थे। कबीर दास ने समाज में फैली बुराइयों की कड़ी आलोचना की और इन्होंने अंधविश्वास की भी निंदा की थी। इनके जीवनकाल में इन्हे मुस्लिम और हिंदू ने बहुत सहयोग दिया। सभी धर्मो के ग्रंथो में यह कहा गया है की कबीर दास स्वयं परमात्मा है। कबीर दास को पढ़ा लिखा नही माना जाता था लेकिन इनके दोहों से इनके पढ़े लिखे होने का प्रमाण मिलता है, वे स्वयं विद्वान थे।
अतः सही उत्तर है,भारतीय रहस्यवादी संत और कवि थे।
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