Kabir Das ke vyaktitva aur krititva ko likhe
Answers
Explanation:
कबीर की भक्ति का आदर्श ऊंचा है उसमें प्रेम, अगाध विश्वास, श्रद्धा आस्था और निष्ठा है, किंतु पूजा अनुमान के लिए अवसर कम है I कबीर में भक्ति की पराकाष्ठा है I भक्त जब अपनी चरम अवस्था को प्राप्त कर लेती है, तो वह अपने आराध्य की निकटता करती है I ऐसे में भौतिक उपासना गॉड हो जाती है I कबीर की संपूर्ण भक्ति प्रेम विश्वास और शुद्धता के आधार पर ही टिकी है I कबीर का ज्ञान भी अद्भुत है, वह वेदों और शास्त्रों का होते हुए भी इन के प्रतिकूल है I यह देश काल और ग्रंथों की परिधि से परे असीम है I वह किसी एक धर्म संप्रदाय और मत विशेष से जुड़ा ना हो करके सब का है I
Answer: कबीरदास जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों ही महान हैं। विपरीत परिस्थितियों की परवाह न करके उन्होंने जिस प्रकार सामाजिक कुरीतियों तथा आडंबर एवं पाखंड का निर्भीकता से विरोध किया वह श्लाघनीय है । आपसी मतभेद को मिटाकर सर्वधर्म समानता के मानवीय धर्म को कबीर दास जी ने बल प्रदान किया | अज्ञान से उपजे भ्रम को मिटाकर तथा असत्य को रौंदकर घट-घट में सत्य के दर्शन कराने वाले कबीर दास जी हिंदी साहित्य के साथ - साथ संत परंपरा में भी अग्रगण्य है।
कृतित्व : कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न- भिन्न है । कबीर की वाणी का संग्रह बीजक के नाम से प्रसिद्ध है । इसके 3 भाग है रमैनी , सबद और साखी । यह पंजाबी राजस्थानी खड़ी बोली अवधी पूर्वी ब्रजभाषा आदि कई भाषाओं का मेल है ।उन्होने जो अनुभव किया उसे लिख दिया | कबीर परमात्मा को मित्र माता - पिता और पति के रूप में देखते थे । कबीर का जीवन सबके लिए था और वे अहिंसा सत्य सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक थे । उनका सरल तथा साधु स्वभाव एवं संत प्रवृत्ति के कारण ही लोगों में उनका इतना आदर है ।