Hindi, asked by sonipandey8990, 2 months ago

Kabir Das ki bhakti bhawana par prakash dalo

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Answered by vikashdas10581
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Answer:

Kabir ki bhakti bhavana spashta kijiye

उनके अनुसार यदि पत्थर को पूजने से ईश्वर मिलते हैं तो वह केवल पत्थर को ही पूंजना चाहते हैं। ''पाथर पूजै हरी मिलै, तो मैं पूजूँ पहार । ताते तो चक्की भली, पीसि खाय संसार॥'' वह समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करते थे।

Answered by ItzCutePrince1946
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कबीर मानव मात्र से प्रेम से प्रेम करते थे। इनके लिए सब सामान है, कोई भेद नहीं है। न कोई राजा है, न कोई रंक है, न कोई पंडित है, न कोई मुर्ख, न कोई ब्राह्मण है, न कोई शूद्र; सभी उसी परमब्रह्म के अंश हैं, सभी ब्रह्म हैं। शंकर के अद्वैत को स्वीकार करने के पीछे इनका यह मानव मात्र के प्रति प्रेम तथा उनकी समदृष्टि ही कारण था

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\huge\fbox\red{hσpє}\huge\fbox\pink{ít}\fbox\green{hєlpѕ}\huge\fbox\blue{hєlpѕ}\huge\fbox{\red{\underline{mαrk \; mє \; вrαínlíєѕt  \; plєαѕє  ♥}}}

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