Hindi, asked by abhash83, 1 year ago

Kabir Das Mein Masjid Ki Kya Kya visheshta Bataye hai​

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Answered by bhatiamona
11

कबीर जी कहते हैं कि मुसलमानों ने कंकर पत्थर जोड़कर मस्ज़िद बना ली हैं। यह उनकी धार्मिक उपासना का स्थल है। वे रोज़ इसमें चिल्ला-चिल्लाकर नमाज़ पढ़ते हैं जैसे कि उऩका खुदा बहरा हो। कबीर ने यहाँ बाहरी दिखावे तथा व्यर्थ के धार्मिक पाखंड पर व्यंग्य किया है। उनके अनुसार खुदा तो सर्वत्र व्याप्त है। उसके लिए मस्ज़िद बनाकर उसमें नमाज़ का दिखावा करने की आवश्यकता नहीं है।  इतना ही नहीं जो मुसलमान दिन भर रोजा रखता है और रात को गाय की हत्या करता है, उन्हें कबीर ने स्पष्ट कहा है|

कबीर जी ने दोहे में स्प्ष्ट किया है :

“ कंकड़ पत्थर जोरि कै मस्जिद दिया बनाय |

ता चढ़ मुल्लाबाग है क्या बहरा हुआ खुदाय |

“ कंकड़ पत्थर जोड़ कर मस्जिद बना ली है , मोलवी के द्वारा जोर-जोर से घोषणा करना | क्या खुदा बहरा हो गया है , जोर -जोर से पुकारने से | कबीर  जी कहा कहना है ईश्वर , खुदा उसे किसी भी नाम से पुकारा वह हमेशा हमारे साथ रजत है | उसे मंदिर , मस्जिद में खोजना मूर्खता है | ईश्वर हमारे कण-कण में है|  

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Answered by KrystaCort
3

कबीर जी कहते हैं कि मुसलमानों ने कंकर पत्थर जोड़ कर मस्जिद बना ली है और यह उनकी धार्मिक उपासना का स्थल भी है।

Explanation:

  • कबीर जी कहते हैं कि मुसलमानों ने कंकर पत्थर जोड़ कर मस्जिद बना ली है और यह उनकी धार्मिक उपासना का स्थल भी है।
  • वे मुसलमानों के धार्मिक स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि मुसलमान इसमें रोज इतना चिल्ला कर नमाज पढ़ते हैं मानो उनका खुदा बहरा हो।
  • कबीर दास इस धार्मिक स्थिति को दिखावे और व्यर्थ पाखंड बताते हैं।
  • उनका मानना है कि खुदा तो सर्वत्र व्याप्त है और उन्हें इसके लिए नमाज अदा कर दिखावा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

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