Hindi, asked by Anonymous, 6 months ago

kabir dohe bhavarth class 10 cbse with kavi parichay

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Answered by daisydaniel020
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Answer:

Author Introduction - कवि परिचय

कवि - बिहारी

जन्म - 1595 (ग्वालियर )

मृत्यु - 1663

Dohay (दोहे) Chapter Summary - पाठसार

प्रस्तुत दोहे कविवर बिहारी द्वारा रचित ग्रन्थ 'बिहारी सतसई 'से लिए गए हैं। इसमें कवि ने भक्ति ,नीति व् श्रृंगार भाव का सुन्दर मेल प्रस्तुत किया है। पहले दोहे में कवि कहते हैं कि श्री कृष्ण के नीलमणि रूपी साँवले शरीर पर पीले वस्त्र रूपी धूप अत्यधिक शोभित हो रही है। दूसरे दोहे में कवि भयंकर गर्मी का वर्णन करते हुए कहते हैं कि गर्मी के कारण जंगल तपोवन बन गया है जहाँ सभी जानवर आपसी द्वेष भुलाकर एक साथ बैठे हैं। तीसरे दोहे में कवि गोपियों की श्री कृष्ण के साथ बात करने की उत्सुकता को प्रकट करते हैं और कहते हैं कि गोपियों ने श्री कृष्ण की बाँसुरी को चुरा लिया है। चौथे दोहे में कवि नायक और नायिका द्वारा भीड़ में भी किस तरह आँखों ही आँखों में बात की जाती है इस बात का वर्णन करते हैं। पांचवें दोहे में कवि जून के महीने की भीषण गर्मी का वर्णन करते हुए कहते हैं कि गर्मी इतनी अधिक बढ़ गई है कि छाया भी छाया ढूंढ़ने के लिए घने जंगलों व घरों में छिप गई है। छठे दोहे में कवि कहते हैं कि नायिका नायक को सन्देश भेजना चाहती है परन्तु अपनी विरह दशा का वर्णन कागज़ पर नहीं कर पा रही है न ही किसी को बता पा रही है वह चाहती है कि नायक उसकी विरह दशा का अनुमान स्वयं लगाए। सातवे दोहे में कवि श्री कृष्ण से कहते हैं कि आप चन्द्रवंश में पैदा हुए हो और स्वयं ब्रज आये हो। कवि श्री कृष्ण की तुलना अपने पिता से कर रहे हैं और कहते हैं कि आप मेरे पिता के समान हैं ,अतः मेरे सारे कष्ट नष्ट कर दो। अन्तिम दोहे में कवि आडम्बर से बचने व ईश्वर की सच्ची भक्ति करने को कहते हैं और बताते हैं कि सच्ची भक्ति से ही ईश्वर प्रसन्न होते हैं।

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