kabir ke dohon ko sakhi kyon kehte hain?
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कबीर के दोहों को साखी कहा जाता है क्योंकि ‘साखी’ शब्द का एक अर्थ है ‘प्रत्यक्ष रूप से ‘अर्थात् उन्हींने समाज में जैसा देखा वैसा ही कहा। वे समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं और बाह्य आडंबरों को समाप्त करना चाहते थे इसीलिए अपने दोहों मे भी कबीर ने यही सीख देनी चाही है कि हमें साधु के ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए, उनके जातीय स्वरूप को जानने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। यदि कोई अपशब्द कहे तो मौन रहना चाहिए क्यौंकि हमारे द्वार भी अपशब्द कहे जाने पर उनकी संख्या बढ़ेगी। ईश्वर प्राप्ति हेतु एकाग्रचित्त होकर भक्ति करनी चाहिए। किसी को निर्बल नहीं समझना चाहिए एव हमें अपने स्वभाव को निर्मल और शांत बनाना चाहिए।
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