kabir ke kisi bhi 6 dohe sankilit kijiye?
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1) नारी पुरुष सब ही सुनो, यह सतगुरु की साख |
विष फल फले अनेक है, मत देखो कोई चाख ||
2) शब्द बराबर धन नहीं, जो कोई जाने बोल |
हीरा तो दामो मिले, शब्द मोल न टोल ||
3) पढ़ा सुना सीखा सभी, मिटी ना संशय शूल |
कहे कबीर कैसो कहू, यह सब दुःख का मूल ||
4) विषय त्याग बैराग है, समता कहिये ज्ञान ।
सुखदाई सब जीव सों, यही भक्ति परमान ॥
5) परनारी का राचणौ, जिसकी लहसण की खानि ।
खूणैं बेसिर खाइय, परगट होइ दिवानि ॥
6) कबीर दर्शन साधु के, करत ना कीजै कानि ।
जो उधम से लक्ष्मी, आलस मन से हानि ॥
विष फल फले अनेक है, मत देखो कोई चाख ||
2) शब्द बराबर धन नहीं, जो कोई जाने बोल |
हीरा तो दामो मिले, शब्द मोल न टोल ||
3) पढ़ा सुना सीखा सभी, मिटी ना संशय शूल |
कहे कबीर कैसो कहू, यह सब दुःख का मूल ||
4) विषय त्याग बैराग है, समता कहिये ज्ञान ।
सुखदाई सब जीव सों, यही भक्ति परमान ॥
5) परनारी का राचणौ, जिसकी लहसण की खानि ।
खूणैं बेसिर खाइय, परगट होइ दिवानि ॥
6) कबीर दर्शन साधु के, करत ना कीजै कानि ।
जो उधम से लक्ष्मी, आलस मन से हानि ॥
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