Hindi, asked by aryan45637p9is8i, 1 year ago

kabir ke sakhi ka mukhya uddeshya

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Answered by Chirpy
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प्राचीन धर्म प्रवर्तकों ने ज्ञान को प्रतिपादित करने के लिए जिस काव्यरूप का उपयोग किया है उसे साखी कहते हैं। कबीर दास जी की साखियां लोकप्रिय हैं। उन्होंने नीति, व्यवहार, समता, एकता, वैराग्य और ज्ञान की बातें समझाने के लिए साखियों का प्रयोग किया है। उनमें उन्होंने सांसारिक, अध्यात्मिक, नैतिक और परलौकिक विषयों का वर्णन किया है। दोहे जैसे छोटे छंदों में उन्होंने उपदेश दिए हैं।

Answered by Anonymous
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ऐसे शब्द बोलो, अपना दिल हारो।

अपना शरीर सेट करें, और खुशी क्या है।

कस्तूरी कॉइल बसे हुए हैं, मृग पाया जाता है

यह बुरी बात है, दुनिया देखी नहीं जाती।

नहीं हरि जब मैं था, अब मैं हरि नहीं हूं।

दीपक को देखते ही सारा अंधेरा मिट गया।

सुखिया दुनिया भर में है, खाओ और पियो।

दुखी दास कबीर हैं, जागो अरु रोवै।

बिरह भुवंगम तन बसई, कोई मंत्री नहीं

राम बियोगी जिंदा नहीं है, जीवै नाराज है

भगवान निंदा करता है, एक कांटेदार बगीचे को बांधता है

बिना किसी दुःख के, निर्मल मना कर देता है।

पोथी पाढ़ी - पाढ़ी जग मुवा, पंडित भया न कोय।

एशेज, पढ़ें और सुनें

हम घर गए, खुद को मार डाला,

अब घर पर, मैं हमारे साथ हूं।

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