Kabir ki Drishti mein Sara sansar sukhi kyon hai
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कबीर की दृष्टि में भी लोग सुखी हैं, जो सांसारिक सुखों में लिप्त हैं। जो संसार की सभी सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं, उसका लाभ उठाते हैं। जो भौतिक भोग विलास में मगन हैं, वे लोग सुखी हैं भले ही यह सुख क्षणभंगुर क्यों ना हो।
कबीर के अनुसार सोए रहना अज्ञानता का प्रतीक है, जबकि जग जाना ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है। जो लोग सांसारिक सुखों में मगन हैं, वे लोग वास्तव में सोए हुए हैं और जिन्हें ज्ञान और ईश्वर प्राप्ति की लगन हो गई है वह वास्तव में जग गए हैं। कबीर के अनुसार ऐसे लोग वास्तव में दुखी हैं क्योंकि वह ईश्वर की प्राप्ति के लिए दुख भोग रहे हैं जिन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए सांसारिक सुखों का परित्याग कर दिया है और इधर-उधर भटक रहे हैं, जबकि वे लोग सुखी हैं, जो भौतिक सुखों में लिप्त हैं भले ही यह सुख क्षणिक क्यों ना हो?
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