Hindi, asked by anjali36861, 9 months ago

kabir ki saaki se jeevan ki kaunkaun si seekh milti hai

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Answered by ashkbab
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hlo

Explanation:

साखी रचना की परंपरा का प्रारंभ गुरु गोरखनाथ तथा नामदेव जी के समय होता है। गोरखनाथ की जोगेश्वरी साखी काव्यरूप में उपलब्ध सबसे पहली 'साखी रचना मानी जाती है।

कबीर ने नीति, व्यवहार, एकता, समता, ज्ञान और वैराग्य आदि समझाने के लिए 'साखी' का प्रयोग किया है। कबीर की साखियों में दोहा छंद का प्रयोग सर्वाधिक किया गया है। कबीर की साखियों पर गोरखनाथ और नामदेव की साखी का प्रभाव दिखाई देता है।

कबीर ने गोरखनाथ की तरह अपनी सखियों में दोहा जैसे छोटे छंदों में अपने उपदेश दिए हैं।

संत कबीर की रचनाओं में साखियाँ सर्वाधिक पायी जाती है। कबीर बीजक में ३५३ साखियाँ, कबीर ग्रंथ वाली में ९१९ साखियाँ हैं। आदिग्रंथ में साखियों की संख्या २४३ है, जिन्हें श्लोक कहा गया है।

प्राचीन धर्म प्रवर्त्तकों ने 'साखी' शब्द का प्रयोग अपने गुरुजनों की बात को अपने शिष्यों अथवा जन-साधारण तक पहुंचाने में किया है। अपने गुरू के शब्दों की पवित्रता को बताए रखने के लिए साखी शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है। वे साखी देकर, यह सिद्ध करना चाहते थे कि इस प्रकार की दशा का अनुभव अमुक- अमुक पूर्ववर्ती गुरुजन भी कर चुके हैं।

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