kabir ne aatma tatva aur parmatnma tatva ke baare me kya kaha hai
Answers
Explanation:
जगह-जगह हुए कार्यक्रमों में कबीरदास को याद करते हुए उनके बताए आदर्शवादी मार्ग पर चलने का आह्वान किया गया। एक ही परम तत्व के दो स्वरूप हैं आत्मा व परमात्मा। ... आचार्य ने कबीरदास के दोहे का उल्लेख करते हुए कहा- जल में कुंभ, कुंभ में जल है बाहर भीतर पानी, फूटा कुंभ जल जलहि समाना यह तथ कहौं गियानी।
Answer:
Explanation:
एक ही परम तत्व के दो स्वरूप हैं आत्मा व परमात्मा। आत्मा यदि उस परम तत्व की एक बूंद है तो परमात्मा अनंत लहलहाता सागर।
यह शरीर एक घड़े की भांति है, जिसमें आत्मा उसी प्रकार से विद्यमान है जैसे घड़े के अंदर समाया हुआ विराट सागर। यदि घड़े को हम समुद्र में डुबो दें तो घड़े के अंदर समाये जल को हम आत्मा कहेंगे व उसके बाहर अपरिमित समुद्र को परमात्मा।
''जल में कुंभ, कुंभ में जल है बाहर भीतर पानी, फूटा कुंभ जल जलहि समाना यह तथ कहौं गियानी। ''