Kabir ne ishwar ka roop kahan banaya hai
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1) कबीरदास जी के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति मंदिर या मस्जिद में जाकर नहीं होती।
(2) ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता नहीं है।
(3) कबीर ने मूर्ति-पूजा जैसे बाह्य-आडम्बर का खंडन किया है। कबीर ईश्वर को निराकार ब्रह्म मानते थे।
(4) कबीर ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए योग-वैराग (सन्यास) जीवन का विरोध किया है।
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