kabir ne kul ki abeksha karam ko adik mahatav kyo diya
Answers
Answered by
0
Answer:
कबीर जी ने स्वयं को हमेशा जाति व धर्म से खुद को परे रखा। इन्होंने हिंदू संतों और मुस्लमान फकिरों दोनों के साथ सत्संग किया और दोनों की अच्छी बातों का आत्मसात किया। वे सिर्फ एक ही ईश्वर को मानते थे। इतना ही नहीं धर्म के नाम पर होने वाले कर्मकांड के सख्त विरोधी थे।
Explanation:जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
अर्थ – कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं किसी भी साधु या सज्जन व्यक्ति से उसकी जाती ना पूछो, क्योंकि जाती से किसी के ज्ञान का बोध नहीं होता। पूछना ही है तो उनसे उनका ज्ञान पूछिए। क्योंकि जाती किसी की पहचान नहीं होती। ज्ञान ही एक मात्र ऐसी चीज है जिससे व्यक्ति की बोधिकता का परिचय मिलता है। ठीक उसी तरह जैसे तलवार की कीमत होती है ना की म्यान की।
Similar questions
English,
3 months ago
Chemistry,
3 months ago
Social Sciences,
7 months ago
Hindi,
7 months ago
English,
11 months ago