kabir sakhi explanation line by line
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जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥
कभी भी किसी साधु की जाति-धर्म कोई संपर्क नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके एकमात्र ज्ञान से संपर्क होना चाहिए। जिस तरह से तलवार का मोल भाव करना चहिए ना कि उसकी म्यान का क्योंकि युद्ध के मैदान में तलवार की उपयोगिता होती है, म्यान चाहे लाख रुपये की क्यों न हो या एक रुपये की युद्ध में समान ही
होती है।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥
कभी भी किसी साधु की जाति-धर्म कोई संपर्क नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके एकमात्र ज्ञान से संपर्क होना चाहिए। जिस तरह से तलवार का मोल भाव करना चहिए ना कि उसकी म्यान का क्योंकि युद्ध के मैदान में तलवार की उपयोगिता होती है, म्यान चाहे लाख रुपये की क्यों न हो या एक रुपये की युद्ध में समान ही
होती है।
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