English, asked by siddhukr3915, 10 months ago

kabuliwala questions and answers and summary in Marathi

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Answered by alkalamate
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Answer:

मेरी पाँच वर्ष की छोटी लड़की मिनी से पल भर भी बात किए बिना नहीं रहा जाता। दुनिया में आने के बाद भाषा सीखने में उसने सिर्फ एक ही वर्ष लगाया होगा। उसके बाद से जितनी देर तक सो नहीं पाती है, उस समय का एक पल भी वह चुप्पी में नहीं खोती। उसकी माता बहुधा डाँट-फटकार कर उसकी चलती हुई जुबान बंद कर देती है; किन्तु मुझसे ऐसा नहीं होता। मिनी का मौन मुझे ऐसा अस्वाभाविक-सा प्रतीत होता है, कि मुझसे वह अधिक देर तक सहा नहीं जाता और यही कारण है कि मेरे साथ उसके भावों का आदान-प्रदान कुछ अधिक उत्साह के साथ होता रहता है।

सवेरे मैंने अपने उपन्यास के सत्तरहवें अध्‍याय में हाथ लगाया ही था कि इतने में मिनी ने आकर कहना आरम्भ कर दिया, ”बाबा! रामदयाल दरबान कल ‘काक’ को कौआ कहता था। वह कुछ भी नहीं जानता, है न बाबा ?”

विश्व की भाषाओं की विभिन्नता के विषय में मेरे कुछ बताने से पहले ही उसने दूसरा प्रसंग छेड़ दिया, ”बाबा! भोला कहता था आकाश मुँह से पानी फेंकता है, इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबा, भोला झूठ-मूठ कहता है न? खाली बक-बक किया करता है, दिन-रात बकता रहता है।”

इस विषय में मेरी राय की तनिक भी राह न देख कर, चट से धीमे स्वर में एक जटिल प्रश्न कर बैठी, “बाबूजी, माँ तुम्हारी कौन लगती है?”

उसके इस प्रश्न का उत्तर देना, किसी भंवर में फंसने बराबर था इसलिए मैंने उसका ध्यान हटाने के लिए कहा, ”मिनी, तू जा, भोला के साथ खेल, मुझे अभी काम है, अच्छा।”

तब उसने मेरी मेज के पार्श्व में पैरों के पास बैठकर अपने दोनों घुटने और हाथों को हिला-हिलाकर बड़ी शीघ्रता से मुंह चलाकर ‘अटकन-बटकन दही चटाके’ कहना आरम्भ कर दिया। जबकि मेरे उपन्यास के अध्‍याय में प्रतापसिंह उस समय कंचनमाला को लेकर रात के गहरे अँधेरे में बंदीगृह के ऊंचे झरोखे से नीचे कलकल करती हुई सरिता में कूद रहा था।

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