kabuliwala story of rabindranath tagore in hindi
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मेरी पांच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता. एक दिन सवेरे-सवेरे बोली,''बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह 'काक' को 'कौआ' कहता है. वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी.'' मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी
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रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी काबुलीवाला मेरी पांच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता. एक दिन सवेरे-सवेरे बोली,''बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह 'काक' को 'कौआ' कहता है. वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी.'' मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी.
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