kabutar ka bara ma jankari 4 page
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कबूतर यानी Pigeon को तो हम सभी ने देखा है, ये देखने में बहुत ही खूबसूरत पक्षी है. कबूतर कई रंगों के होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा सफेद रंग में ही पाए जाते हैं. तो आइए आपको बताते हैं कबूतर के बारे में कुछ Interesting Facts.
आपको बता दें कि Pigeon दुनिया का सबसे पुराना पालतू पक्षी है. कबूतर पांच हजार फीट से भी ज्यादा की उंचाई पर उड़ सकते हैं.
Pigeon के उड़ने की रफ्तार 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है. First और Second World War के दौरान कबूतरों का इस्तेमाल चिट्ठी पहुंचाने के लिए किया जाता था. इन कबूतरों को 'जंगी कबूतर' के नाम से जाना जाता था.
कबूतर आमतौर पर बीज, फल और अनाज , कलियां आदि खाने के शौकीन होते हैं.
कबूतर बहुत ही बुद्धिमान होते हैं, ये खुद को शीशे में देखकर पहचान सकते हैं.
आमतौर पर कबूतर झुंड में रहना पसंद करते हैं. भारत में आमतौर पर सफेद और स्लेटी रंग के कबूतर ज्यादा पाए जाते हैं. राजा-महाराजा के समय में कबूतरों का इस्तेमाल चिट्ठियां पहुंचाने में किया जाता था.
कबूतर यानी Pigeon को तो हम सभी ने देखा है, ये देखने में बहुत ही खूबसूरत पक्षी है. कबूतर कई रंगों के होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा सफेद रंग में ही पाए जाते हैं. तो आइए आपको बताते हैं कबूतर के बारे में कुछ Interesting Facts.
आपको बता दें कि Pigeon दुनिया का सबसे पुराना पालतू पक्षी है. कबूतर पांच हजार फीट से भी ज्यादा की उंचाई पर उड़ सकते हैं.
Pigeon के उड़ने की रफ्तार 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है. First और Second World War के दौरान कबूतरों का इस्तेमाल चिट्ठी पहुंचाने के लिए किया जाता था. इन कबूतरों को 'जंगी कबूतर' के नाम से जाना जाता था.
कबूतर आमतौर पर बीज, फल और अनाज , कलियां आदि खाने के शौकीन होते हैं.
कबूतर बहुत ही बुद्धिमान होते हैं, ये खुद को शीशे में देखकर पहचान सकते हैं.
आमतौर पर कबूतर झुंड में रहना पसंद करते हैं. भारत में आमतौर पर सफेद और स्लेटी रंग के कबूतर ज्यादा पाए जाते हैं. राजा-महाराजा के समय में कबूतरों का इस्तेमाल चिट्ठियां पहुंचाने में किया जाता था.
Explanation:
कबूतर पूरे विश्व में पाये जाने वाला पक्षी है। यह एक नियततापी, उड़ने वाला पक्षी है जिसका शरीर परों से ढँका रहता है। मुँह के स्थान पर इसकी छोटी नुकीली चोंच होती है। मुख दो चंचुओं से घिरा एवं जबड़ा दंतहीन होता है। अगले पैर डैनों में परिवर्तित हो गए हैं। पिछले पैर शल्कों से ढँके एवं उँगलियाँ नखरयुक्त होती हैं। इसमें तीन उँगलियाँ सामने की ओर तथा चौथी उँगली पीछे की ओर रहती है। यह जन्तु मनुष्य के सम्पर्क में रहना अधिक पसन्द करता है। अनाज, मेवे और दालें इसका मुख्य भोजन हैं। भारत में यह सफेद और सलेटी रंग के होते हैं पुराने जमाने में इसका प्रयोग पत्र और चिट्ठियाँ भेजने के लिये किया जाता था।